आँसुओं को अपनी पलकों पर रुका रहने दिया
आँसुओं को अपनी पलकों पर रुका रहने दिया
यूँ भरम हमने न रोने का बना रहने दिया
की नहीं परवाह हमने अपने इस दिल की कभी
टूटा बिखरा ही इसे तन में पड़ा रहने दिया
ज़िन्दगी हमने चुकाई साँसों की कीमत बड़ी
रिश्ते निभ पाये तभी जब सर झुका रहने दिया
दिन फिरेंगे आएगी बारात खुशियों की कभी
सोचकर इक दीप आशा का जला रहने दिया
हाथ तो थामा नहीं थीं अपनी कुछ मजबूरियाँ
नाम दिल पे ‘अर्चना’ ने पर लिखा रहने दिया
08-08-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद