आँचल
जमकर बरसा आवारा बादल
नहीं भिगो पाया आँचल मेरा
हां,आंसुओं से भीगा आँचल मेरा
संभालकर रखे हैं
कुछ आंसू बिखरने से बचाकर
इन आंसुओं में कैद है
तस्वीरें ,यादें उन अपनों की
जिनके साथ हुई दरिंदगी की
दास्ताँ से भरे हैं अखबार
फिर से रौशन होती
किसी चौराहे पर
मोमबत्तियों की रोशनी में
गुम सी होती लगती है
इन मोमबत्तियों के जलने की
वजह की तस्वीर
बारिश के पानी ने मिटा दिए हैं
दरिंदगी के वे सभी निशाँ
पर निशाँ आज भी महफूज़ हैं
दर्द के साथ मेरे खाली आँचल में
नहीं भिगो पाया आँचल मेरा………..