” आँचल भारत माँ का “
ये जो मेरे चेहरे का नूर है
वो कुछ और नही
मेरे देशवासियों का गूरूर है ,
तनी है जो ये गर्दन मेरी
इसकी वजह
असंख्य औलादें हैंं मेरी ,
बेटियां हैं मेरा श्रृंगार
भाग्यवान हूँ मैं
बेटे करते मेरे सपने को साकार ,
मैं आल्हादित हो जाती हूँ
अपनी सीमाओं पर
जब अपनी नज़र घुमाती हूँ ,
मेरे बच्चे मुश्तैदी से रक्षा मेरी करते हैं
मेरी खातिर अपनी ये
जान भी न्यौछावर कर देते हैं ,
कलेजा छलनी हो जाता है
जब – जब भी
मेरा लाल शहीद हो जाता है ,
मेरी तरह कितनी माँओं का
कर्ज चुका कर
खोखले करते हैं दुश्मन के दावों का ,
जार – जार दिल ये मेरा रोता है
मेरा रक्षक जब भी
इस तिरंगे में सो जाता है ,
उनकी कुर्बानी बेकार नही होती है
हर एक हिन्दुस्तानी का
मस्तक ऊँचा कर जाती है ,
मेरी आन – बान और शान में
सब डट कर खड़े है
मेरे आँचल के मान में ,
इसिलिए तो आंचल मेरा लहराता है
एक – एक भारतवासी
हर कीमत पर तिरंगा फहराता है ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 15/08/2020 )