आँख के रास्ते बनाना रह गया
2122 2122 212
आँख के रास्ते बनाना रह गया
रूठता है तो मनाना रह गया
शाम ढलने जो लगी है पास आ
बस गले तुझको लगाना रह गया
मान भी जा दिल न बन नादाँ यूँ
क्या अभी भी चोट पाना रह गया
बावली मैं हो गयी हूँ प्यार में
आज जंग-ए जीत जाना रह गया
जिन्दगी की लूट में बर्बाद हम
एक तेरा आशियाना रह गया
पीर मेरे नाम की तुझ में बसी
रोग कैसे ये छिपाना रह गया
पी चुका मधु का सना प्याला वहींं
भूलने को सरगम सजाना रह गया
गीत तेरी प्रीत के जो लिख रही
होंठ पर ला गुनगुनाना रह गया
मैं गुजरती हूँ इश्क की हर गली
जान तेरे पर लुटाना रह गया
चोट तुझको दी किसी ने दिल लगा
कुछ न मधु तुझको जताना रह गया
डॉ मधु त्रिवेदी