आँखों से जाम पिलाया ना कर
आँखों से जाम पिलाया ना कर
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*222 212 122 22 (ग़ज़ल) *
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यूं ही तुम ख्वाब में बुलाया ना कर,
दिल है बेचैन को सताया ना कर।
होता है दुख यहाँ जहाँ तुम ना हो,
झूठे अरमान भी दिलाया ना कर।
खो दें होशोहवास यूं हर कोई,
आँखों से जाम को पिलाया ना कर।
दिन में भी देखते हसीं ख्वाबों में,
मदहोशी में सनम सुलाया ना कर।
मनसीरत मन मुरीद है यौवन का,
मोहोब्बत बेइंतहा जताया ना कर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)