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22 Jun 2022 · 1 min read

आँखों मे शर्म तो है

**आँखों मे शर्म तो है**
*******************

आँखों मे शर्म तो है,
स्वभाव कुछ नर्म तो है।

रखते हैं उसी पर आशा,
मन का ये वहम तो है।

खुश हो झूमते सब जन,
कुदरत का रहम तो है।

तकलीफें न हीं पीड़ा,
यह रहमोकरम तो है।

मनसीरत झुकाए सिर,
इंसानी धर्म तो है।
******************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
175 Views
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