आँखों में शर्म देना
1.
आँखों में शर्म देना
दिल में जज़्बा – ए – इंसानियत
जितने दिन भी जियेंगे हम
एक तेरे करम से
2.
अरमां है ये मेरा
तेरी आँखों का नूर हो सकूं
दो कदम भी जो चलूँगा
वो भी तेरे करम से
1.
आँखों में शर्म देना
दिल में जज़्बा – ए – इंसानियत
जितने दिन भी जियेंगे हम
एक तेरे करम से
2.
अरमां है ये मेरा
तेरी आँखों का नूर हो सकूं
दो कदम भी जो चलूँगा
वो भी तेरे करम से