आँखों देखा हाल ‘कौशल’ लिख रहा था रोड पर
एक बूढ़ा साइकिल से बढ़ रहा था रोड पर।
घर पहुंचने धीरे-धीरे चल रहा था रोड पर।।
एक मैडम खूब सज-धज बैठ बाइक आ रही।
खूबसूरत पल नजारा लग रहा था रोड पर।।
एक पल मैडम ने सोचा लें सही सेल्फी यहां।
भूल कर कि और कोई रम रहा था रोड पर।।
चलते-चलते सेल्फियाँ दो चार ली चूकी कहाँ।
डिग गई बाइक दुपट्टा उड़ रहा था रोड पर।।
जब खिची सेल्फी वो बूढ़ा पास ही पहुँचा मगर।
हड़बड़ाहट हो गई वह गिर रहा था रोड पर।।
हाय तौबा मच गया बूढ़े पे मैडम टूटती।
सेल्फियाँ संग में खिचाने पिल रहा था रोड पर।।
हो गया बूढ़ा मगर आई अकल अब तक नहीं।
मुझ पे मरने बेशरम यूँ छल रहा था रोड पर।।
भीड़ ने देखा तो दौड़ी ‘हाय मैडम ठीक हो’।
देखने मैडम को मजमा ठल रहा था रोड पर।।
जो गुजरता आदमी गुस्सा बहुत था देख-सुन।
दोष बूढ़े को दिये जा जल रहा था रोड पर।।
भूल कर देखा न कोई जी रहा या मर रहा।
‘क्या जमाना’ सोच बूढ़ा कुढ़ रहा था रोड पर।।
आ गये नारी सशक्तीकरण वाले खुद कथित।
देखते ही खूब झण्डा गड़ रहा था रोड़ पर।।
जो सदा सत्ता जमाता पुरुष वादी रह अरे।
आज खुद महिला हितैषी बन रहा था रोड पर।।
न्याय अब दुर्लभ हुआ है स्वार्थ दुनिया साधती।
आखों देखा हाल ‘कौशल’ लिख रहा था रोड पर।।