आँखे नम हो जाती माँ,
आँखे नम हो जाती माँ,
बीत गए इक वर्ष तेरे बिन,
फिर भी याद सताती माँ,
घर का दीप जलाकर रखता,
तेरे तन की बाती माँ,
गम की आँधी तूफानों मे,
बीच खड़ी हो जाती है,
जब भी याद तुम्हे करता हूँ,
आँखे नम हो जाती माँ,
घर के शोर शराबों में भी,
थी मधुरिम शहनाई माँ,
घर के बिखरे रिश्ते नाते,
कर देती तुरपाई माँ,
तेरी कमी न पूरी होगी,
कौन करे भरपाई माँ,
कितनी बार मेरी गलती पर,
डाट तुम्ही ने खाई माँ,
अंदर से वो टूट चुकी थी,
बाहर से मुस्काती माँ,
जब भी याद तुम्हे करता हूँ,
आँखे नम हो जाती माँ,
पढ़ी नही थी,पर हर मन के,
भाव पढ़ा करती थी माँ,
मेरे खातिर बाबूजी से,
रोज लड़ा करती थी माँ,
तुमसे ही सब रोब दिखाते,
तुमसे दर्द बताते माँ,
तुमसे ही माँगा करते थे,
और तुम्ही से पाते माँ,
नींद न आती रात-रात भर,
दिन में झप्पी खाती माँ,
जब भी याद तुम्हे करता हूँ,
आँखे नम हो जाती माँ,
काश हमे तुम फिर मिल जाती,
हम तुमसे मिल पाते माँ,
जितना दर्द भरा है मन में,
सब तुमसे बतलाते माँ,
तुमसे ही अपनी जिद सारी,
फिर पूरी करवाते माँ,
तेरे हाँथों की रोटी फिर,
माँग-माँग कर खाते माँ,
तुम सुशील के शब्द-शब्द पर,
संस्कार की थाती माँ,
जब भी याद तुम्हे करता हूँ,
आँखे नम हो जाती माँ,