आँखें
हो जाती हैं विकल आँखें
पी अश्कों का गरल आँखें
छुपा बातें जुबां जाती
मगर करती न छल आँखें
पढ़ो दिल के नयन से ये
बड़ी होती सरल आंखें
दिखाती रहती ख्वाबों के
बड़े ऊँचे महल आँखें
घटाती बोझ दिल का जब
बहाती खारा जल आँखें
है इनसे ज़िन्दगी रोशन
दिखातीं सारे पल आँखें
खुशी हो ‘अर्चना’ या गम
हो जाती हैं तरल आँखें
17-10-2021
डॉ अर्चना गुप्ता