आँखें
झील सी गहरी आखों में
कोई राज छुपाए रहती हो
राज के गहरे आँचल में
कोई ख्वाब सजाए रहती हो
ख्वाब के धुंधलेआइने में
इक तस्वीर बसाए रहती हो
वो तस्वीर हमारी ही होगी
ये आस लगाए बैठें हैं
तेरे प्यार को सच में पाने का
ख्वाब सजाए बैठें हैं
-सुखविन्द्र सिंह