आँखें
जादू ना सही मगर
कमाल ये कर दें
आँखें आँखों को छूकर
विश्वास से भर दें
आँखें जो दिखने में
भले ही सादा हों
पर रहता जिनमें नेक
सुन्दर सा इरादा हो
श्रृंगार नहीं सुन्दर
सोच का सहरा हो
ना झील सी गहरी
मगर नज़रिया गहरा हो
अनपढ़ होकर भी
पढ़ सके जो हर चेहरा
देख सकें मुस्कान में
छुपा दुख जो गहरा
मिटे एक शरीर दुसरे में
रोशन हो जायें
जो वजह बनें कोई
एक फिर देख पाए
खुलते ही खुल जाती
हों सारी उम्मीदे
जग भलाई के सपने
दें जिनकी नींदें
देखें जहां घाव नहीं
दें मरहम ही
दर्द नहीं मिट जाये
थोड़ा सा ग़म ही ,,,,
– क्षमा उर्मिला