आँखें तेरी आइना
आँखें तेरी आइना,खुद को इनमें सँवारा करूँ।
चाहूँ यूँ दिन-रात मैं,पल ना तुमसे किनारा करूँ।।
जबसे तेरा साथ है,महकी-महकी फ़िज़ाएँ हुई।
तू आई जीवन खिला,रोशन सारी दिशाएँ हुई।
तुम बैठो जब सामने,मैं बस तुमको निहारा करूँ।
चाहूँ यूँ दिन-रात मैं,पल ना तुमसे किनारा करूँ।।
काली आँखें प्यार में,मुझको जुगनू बनाएँ हैं।
मीठी बातें यार की,दिल को मेरे चुराएँ हैं।
तुम जाती हो दूर तो,मैं तुमको ही पुकरा करूँ।
चाहूँ यूँ दिन रात मैं,पल ना तुमसे किनारा करूँ।।
भोली सूरत चाँद-सी,सीरत प्यारी रुहानी है।
चंचल चितवन ये अदा,उस क़ुदरत की निशानी है।
बिखरी जुल्फ़ें हैं घटा,सावन बनके नज़ारा करूँ।
चाहूँ यूँ दिन-रात मैं,पल ना तुमसे किनारा करूँ।।
प्रीतम तेरी प्रीत ये,रुत है कोई बहारों की।
दीवानी करती मुझे,इन चाहत के इशारों की।
छोडूँगी ना हाथ मैं,बस तुझको ही गँवारा करूँ।
चाहूँ यूँ दिन-रात मैं,पल ना तुमसे किनारा करूँ।।
आँखें तेरी आइना, ख़ुद को इनमें सँवारा करूँ।
चाहूँ यूँ दिन-रात मैं,पल ना तुमसे किनारा करूँ।।
आर.एस.प्रीतम
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