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30 Jul 2024 · 1 min read

आँखें खोलूं तो सारा ज़माना नज़र आता है,

आँखें खोलूं तो सारा ज़माना नज़र आता है,
सुबह का भूला हुआ शाम को घर आता है

तालीम सीखता हूं ज़िंदगी में कुछ करने की,
रोज़ चलकर मेरे पास एक बूढ़ा शजर आता है

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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