Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2024 · 1 min read

आँखें कुछ ख़फ़ा सी हो गयी हैं,,,!

आज रात
हुआ यूँ कि,
मैं कर रहा था कोशिश
नाक़ाम सी,
सोने की…!
बाईं करवट से कुछ
घुटनों को मोड़कर,
आद़तन
इन आखों को बंद कर,
मग़र
पता नहीं क्यूँ…???
ये आँखें शायद्
कुछ ख़फा सी हो गयी हैं,
या लगता है
कि यूँ ही बस खुराफ़ात कर
ख़ाम-खा
हमें सता रहीं हैं,
या ख़ुदा
तीन बज गये सुबह के,
हैरत में हूँ बड़ी
कि इनको क्या हुआ…??
पहले तो ऐसी नहीं थीं,
बड़ी ही नज़ाकत से
“निंदिया” को
यूँ आगोश में समेट लेती थीं,
कि जैसे
घुप्प् अँधेरे से
सहमा हुआ इक छोटा बच्चा
माँ के आँचल में
दुब़क जाता है…!
आजकल
ना जाने क्यूँ..? ज़माने की तरह
कम्ब-अ-ख़त्
बहुत ज़ुलम कर रही हैं,
ये आँखें शायद
कुछ ख़फा सी हो गयीं हैं…!!

………पंकज शर्मा

Language: Hindi
12 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सपने
सपने
अशोक कुमार ढोरिया
लम्हें हसीन हो जाए जिनसे
लम्हें हसीन हो जाए जिनसे
शिव प्रताप लोधी
23/90.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/90.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
World stroke day
World stroke day
Tushar Jagawat
हाइपरटेंशन(ज़िंदगी चवन्नी)
हाइपरटेंशन(ज़िंदगी चवन्नी)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*रंगों का ज्ञान*
*रंगों का ज्ञान*
Dushyant Kumar
हमारी मंजिल को एक अच्छा सा ख्वाब देंगे हम!
हमारी मंजिल को एक अच्छा सा ख्वाब देंगे हम!
Diwakar Mahto
ग़ज़ल-दर्द पुराने निकले
ग़ज़ल-दर्द पुराने निकले
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
आगमन राम का सुनकर फिर से असुरों ने उत्पात किया।
आगमन राम का सुनकर फिर से असुरों ने उत्पात किया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
If you can't defeat your psyche,
If you can't defeat your psyche,
Satees Gond
रिश्ते रेशम डोर से,
रिश्ते रेशम डोर से,
sushil sarna
भोले
भोले
manjula chauhan
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
कविता माँ काली का गद्यानुवाद
गुमनाम 'बाबा'
"विलोम-पर्यायवाची"
Dr. Kishan tandon kranti
22, *इन्सान बदल रहा*
22, *इन्सान बदल रहा*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
महामानव पंडित दीनदयाल उपाध्याय
महामानव पंडित दीनदयाल उपाध्याय
Indu Singh
मायूस ज़िंदगी
मायूस ज़िंदगी
Ram Babu Mandal
मुहब्बत भी मिल जाती
मुहब्बत भी मिल जाती
Buddha Prakash
दोहा
दोहा
Neelofar Khan
सुख-साधन से इतर मुझे तुम दोगे क्या?
सुख-साधन से इतर मुझे तुम दोगे क्या?
Shweta Soni
एक दिन
एक दिन
Dr fauzia Naseem shad
ज़ब जीवन मे सब कुछ सही चल रहा हो ना
ज़ब जीवन मे सब कुछ सही चल रहा हो ना
शेखर सिंह
विभेद दें।
विभेद दें।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
सपनों को दिल में लिए,
सपनों को दिल में लिए,
Yogendra Chaturwedi
इंसान हूं मैं आखिर ...
इंसान हूं मैं आखिर ...
ओनिका सेतिया 'अनु '
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
दबी जुबान में क्यों बोलते हो?
Manoj Mahato
गुलशन की पहचान गुलज़ार से होती है,
गुलशन की पहचान गुलज़ार से होती है,
Rajesh Kumar Arjun
तुम रंगदारी से भले ही,
तुम रंगदारी से भले ही,
Dr. Man Mohan Krishna
National Symbols of India
National Symbols of India
VINOD CHAUHAN
"अकेलापन"
Pushpraj Anant
Loading...