Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jul 2021 · 3 min read

अफ़सोस – लघु कहानी

अफ़सोस – लघु कहानी

एक छोटा सा परिवार जिसमे माता , पिता , बेटा , बहू और एक पोता | पोते की उम्र करीब सत्रह वर्ष | परिवार खुशहाल और संपन्न| घर में सभी प्रकार के संसाधन मौजूद| बेटा और बहू दोनों नौकरी करते हैं | पिता कॉलेज में लेक्चरर और बहू सरकारी स्कूल में प्राचार्य |

पोते को सभी कार्तिक कहकर पुकारते | कार्तिक बहुत ही होनहार किन्तु उस पर भी आधुनिक उपकरणों का विशेष प्रभाव था | हाथ में मोबाइल और कान में ईयरफ़ोन | कभी – कभी किसी काम से उसे घर में उसे कोई पुकारता तो उसे पता ही नहीं होता कि कोई कार्यवश उसे पुकार रहा है | इसे लेकर कार्तिक को कई बार झिड़की भी मिल चुकी है | आजकल अमूमन ऐसे दृश्य हर घर में देखने को मिल जाते हैं जहां बच्चे अपने कानों में ईयरफोन पर अंग्रेजी गानों में व्यस्त दिखाई देते हैं |

दादाजी को दो वर्ष पूर्व ही दिल का पहला हल्का दौरा पड़ चुका है | चूंकि कार्तिक के मम्मी और डैडी दोनों रोज नौकरी पर चले जाते हैं तो पीछे से घर में कार्तिक और उसके दादा – दादी रह जाते हैं | आजकल कार्तिक की गर्मियों की छुट्टियां चल रही हैं इसलिए उसका ज्यादा समय घर पर ही व्यतीत होता है | हर समय हाथ में मोबाइल और उस पर गेम और कानों में ईयरफोन पर अंग्रेजी में मधुर संगीत | अंग्रेजी संगीत को मधुर लिखना मेरी बाध्यता है चूंकि आज के बच्चों के लिए मधुर संगीत अंग्रेजी में ही होता है |

दोपहर के करीब तीन बजे का समय था कार्तिक के माता और पिता नौकरी पर गए हुए थे | कार्तिक अपने कमरे में मोबाइल पर व्यस्त , दादी अपने कमरे में आराम करते हुए और दादाजी को नींद नहीं आ रही थी सो वे हॉल में टी वी पर पुरानी हिंदी फिल्म का आनंद उठा रहे थे | सब कुछ सामान्य लग रहा था कि अचानक कार्तिक के दादाजी को दिल का दूसरा घातक दौरा पड़ा | उन्होंने कार्तिक को कई बार आवाज लगाई किन्तु उनकी आवाज़ को सुनता कौन | अचानक कार्तिक को प्यास लगी और वह हॉल में रखे फ्रिज से पानी लेने को आया और दादाजी के अंतिम शब्द “कार्तिक” सुन घबरा गया और दादाजी को संभालने की कोशिश करता तब तक दादाजी इस दुनिया को छोड़ कर जा चुके थे |

कार्तिक ने माता और पिता को फ़ोन कर सूचना दी और वे भागते – भागते घर आये | घर में दादाजी को जीवित न पाकर वे बहुत ही दुखी हुए | कार्तिक के मन में एक प्रश्न बार – बार घर कर रहा था कि वह चाहता तो दादाजी को बचा सकता था किन्तु उसकी मोबाइल पर कुछ ज्यादा ही व्यस्त होने की आदत से उसने अपने दादाजी को खो दिया | उसे अपनी इस आदत और अपने व्यव्हार पर बहुत ही गुस्सा आ रहा था | उसे पता था कि मृत्यु से पूर्व उसके दादाजी ने उसे कई बार आवाज लगाईं होगी किन्तु ……..|

कार्तिक ने अपने माता और पिता से माफ़ी मांगी और भविष्य में मोबाइल और ईयरफोन के इस्तेमाल को लेकर प्रण किया कि वह कम से कम और केवल आवश्यकता पड़ने पर ही इन चीजों का इस्तेमाल करेगा | उसे अपने किये पर अफ़सोस हो रहा था |

शिक्षा :- मोबाइल औए ईयरफोन का इस्तेमाल सोच समझ और स्थान देखकर करें |

39 Likes · 94 Comments · 4129 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
हिन्दी ग़ज़़लकारों की अंधी रति + रमेशराज
हिन्दी ग़ज़़लकारों की अंधी रति + रमेशराज
कवि रमेशराज
"मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्‍छा है,
शेखर सिंह
मैं हमेशा अकेली इसलिए रह  जाती हूँ
मैं हमेशा अकेली इसलिए रह जाती हूँ
Amrita Srivastava
"बूढ़ा" तो एक दिन
*Author प्रणय प्रभात*
प्यासा मन
प्यासा मन
नेताम आर सी
मिलन
मिलन
Bodhisatva kastooriya
💐प्रेम कौतुक-321💐
💐प्रेम कौतुक-321💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अपनी नज़र में
अपनी नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
फ़ैसले का वक़्त
फ़ैसले का वक़्त
Shekhar Chandra Mitra
"बगैर"
Dr. Kishan tandon kranti
इश्क की गलियों में
इश्क की गलियों में
Dr. Man Mohan Krishna
कुछ तो अच्छा छोड़ कर जाओ आप
कुछ तो अच्छा छोड़ कर जाओ आप
Shyam Pandey
We host the flag of HINDI FESTIVAL but send our kids to an E
We host the flag of HINDI FESTIVAL but send our kids to an E
DrLakshman Jha Parimal
खोया हुआ वक़्त
खोया हुआ वक़्त
Sidhartha Mishra
बसंत का आगम क्या कहिए...
बसंत का आगम क्या कहिए...
डॉ.सीमा अग्रवाल
दुख भोगने वाला तो कल सुखी हो जायेगा पर दुख देने वाला निश्चित
दुख भोगने वाला तो कल सुखी हो जायेगा पर दुख देने वाला निश्चित
dks.lhp
हे प्रभु मेरी विनती सुन लो , प्रभु दर्शन की आस जगा दो
हे प्रभु मेरी विनती सुन लो , प्रभु दर्शन की आस जगा दो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ऋतु सुषमा बसंत
ऋतु सुषमा बसंत
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चंद्र ग्रहण के बाद ही, बदलेगी तस्वीर
चंद्र ग्रहण के बाद ही, बदलेगी तस्वीर
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
My Guardian Angel
My Guardian Angel
Manisha Manjari
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है और कन्य
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है और कन्य
Shashi kala vyas
कोहरे के दिन
कोहरे के दिन
Ghanshyam Poddar
जाते हो.....❤️
जाते हो.....❤️
Srishty Bansal
ना कोई संत, न भक्त, ना कोई ज्ञानी हूँ,
ना कोई संत, न भक्त, ना कोई ज्ञानी हूँ,
डी. के. निवातिया
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
रास्ते जिंदगी के हंसते हंसते कट जाएंगे
रास्ते जिंदगी के हंसते हंसते कट जाएंगे
कवि दीपक बवेजा
23/39.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/39.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बचपन
बचपन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जय माता दी ।
जय माता दी ।
Anil Mishra Prahari
वो राह देखती होगी
वो राह देखती होगी
Kavita Chouhan
Loading...