✍️अहज़ान✍️
✍️अहज़ान✍️
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काश सब्र से तेरी कड़वी बात मान लेता
दुनियां एक आइना है ये सच जान लेता
सारे क़िताबी दावे सच नहीं होते ज़नाब
यहाँ अपना ही तर्क अपना इम्तिहान लेता
वो ख़िलाफ़त तो गर गया मेरे हक़ में हुजूर
सबूत के तौर पर मुझे भी तो पहचान लेता!
मोहब्बत दिखावे की भी हो,तो क्या गैरत है
बेगैरत महबूबा का दिल कैसे एहसान लेता
ये वक़्त फिरसे गहरे ज़ख्मो को कुरेद रहा है
कोई दरजी होता मेरे घाव सीने की ठान लेता
कोई ख़लिश चुभती है मेरे दिल में नश्तर सी
काश कोई मेरे तन्हा दिल की अहज़ान लेता
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✍️”अशांत”शेखर✍️
02/06/2022