अहीर छंद (राम और केवट )
अहीर छंद 11 मात्राएँ
8+3=11अंत जगण।
राम और केवट
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सिय लखन संग राम।गंगा तट अभिराम।
केवट रहे पुकार।नैया ला कर पार ।
लूँगा पांव पखार।पहले फिर सरकार।
नौका में चढ़वाउँ।गंगा पार लगाउँ।
बिना चरण प्रभु धोय।आज काज नहिं होय।
तरणी हो मुनि नार।मरे भूख परिवार।।
आज्ञा करें प्रदान। दीन बंधु भगवान।।
चाहे लखन डरायँ।नैया पास न लायँ।
हँसे राम सुन बोल।प्रेम वचन अनमोल।
मेरी सुनकर टेर।लगा नहीं अब देर ।
करले जो चितभाय।दीजे पार लगाय।
और न कोइ बनाव।बस तेरी यह नाव।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
15/11/22