Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Mar 2022 · 1 min read

अहां दिअ उवारी

क्षमा करु हे जननी, अज्ञान छल माँ भारी।
हम दीन छी भिखारी ,अज्ञान के पूजारी।

माँ के शरण में एलौं, कुंठित ठार भेलौं,
किछ सुछि नै रहल छै, माँ के कोना गोहारी,
हम दीन छी भिखारी ,अज्ञान के पूजारी।

नै धोन सों भरल छी,नै वोल सों सबल छी,
नै ज्ञान सों प्रबल छी, नै हृदय सों हम निश्छल छी ,
हम दीन छी भिखारी अज्ञान के पूजारी।

अहां क्षमा नै करबै, पावक परल माँ रहबै,
हम कांट सों बन्हल छी, अहां दिअ उवारी,
हम दीन छी भिखारी ,अज्ञान के पूजारी।

उमा झा

Language: Maithili
Tag: गीत
1 Like · 1 Comment · 376 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from उमा झा
View all
You may also like:
करुंगा अब मैं वही, मुझको पसंद जो होगा
करुंगा अब मैं वही, मुझको पसंद जो होगा
gurudeenverma198
POWER
POWER
Satbir Singh Sidhu
Rebel
Rebel
Shekhar Chandra Mitra
संवेदना कहाँ लुप्त हुयी..
संवेदना कहाँ लुप्त हुयी..
Ritu Asooja
पत्थर तोड़ती औरत!
पत्थर तोड़ती औरत!
कविता झा ‘गीत’
"प्यार में तेरे "
Pushpraj Anant
खींचकर हाथों से अपने ही वो सांँसे मेरी,
खींचकर हाथों से अपने ही वो सांँसे मेरी,
Neelam Sharma
"संकल्प-शक्ति"
Dr. Kishan tandon kranti
Tumhari sasti sadak ki mohtaz nhi mai,
Tumhari sasti sadak ki mohtaz nhi mai,
Sakshi Tripathi
मोहब्बत में मोहब्बत से नजर फेरा,
मोहब्बत में मोहब्बत से नजर फेरा,
goutam shaw
काव्य_दोष_(जिनको_दोहा_छंद_में_प्रमुखता_से_दूर_रखने_ का_ प्रयास_करना_चाहिए)*
काव्य_दोष_(जिनको_दोहा_छंद_में_प्रमुखता_से_दूर_रखने_ का_ प्रयास_करना_चाहिए)*
Subhash Singhai
दिल से कह देना कभी किसी और की
दिल से कह देना कभी किसी और की
शेखर सिंह
स्तंभ बिन संविधान
स्तंभ बिन संविधान
Mahender Singh
लफ्ज़
लफ्ज़
Dr Parveen Thakur
तुम कहते हो राम काल्पनिक है
तुम कहते हो राम काल्पनिक है
Harinarayan Tanha
इंसान ऐसा ही होता है
इंसान ऐसा ही होता है
Mamta Singh Devaa
उस गुरु के प्रति ही श्रद्धानत होना चाहिए जो अंधकार से लड़ना सिखाता है
उस गुरु के प्रति ही श्रद्धानत होना चाहिए जो अंधकार से लड़ना सिखाता है
कवि रमेशराज
तेरी मुस्कराहटों का राज क्या  है
तेरी मुस्कराहटों का राज क्या है
Anil Mishra Prahari
माँ भारती वंदन
माँ भारती वंदन
Kanchan Khanna
सब विश्वास खोखले निकले सभी आस्थाएं झूठीं
सब विश्वास खोखले निकले सभी आस्थाएं झूठीं
Ravi Ghayal
राहों में उनके कांटे बिछा दिए
राहों में उनके कांटे बिछा दिए
Tushar Singh
अपने प्रयासों को
अपने प्रयासों को
Dr fauzia Naseem shad
मानव के बस में नहीं, पतझड़  या  मधुमास ।
मानव के बस में नहीं, पतझड़ या मधुमास ।
sushil sarna
चांद सितारों सी मेरी दुल्हन
चांद सितारों सी मेरी दुल्हन
Mangilal 713
आत्मा की शांति
आत्मा की शांति
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
■
■ "हेल" में जाएं या "वेल" में। उनकी मर्ज़ी।।
*Author प्रणय प्रभात*
मातृ दिवस पर कुछ पंक्तियां
मातृ दिवस पर कुछ पंक्तियां
Ram Krishan Rastogi
3229.*पूर्णिका*
3229.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेटियाँ
बेटियाँ
Raju Gajbhiye
*सफल कौवा 【बाल कविता】*
*सफल कौवा 【बाल कविता】*
Ravi Prakash
Loading...