अहसास
अहसास
तुम होते हो तो
सुहानी लगती हैं
फरवरी की बेफ़िक्र हवाएं
मेरा रोम रोम वाकिफ़ है
तुम्हारे गुनगुने अहसास से..
अच्छा लगता है
हथेली पर आड़ी टेढ़ी रेखाओं में
देर तक तुम्हें तलाशना,
अकेले में गुनगुनाना
या आईने में तुम्हारे
अक्स को निहारना,
महक आती है
तुम्हारी बातों से
सर्द शाम में
सौंफ अदरक चाय सी..!
एक अखबार की तरह
शामिल हो मेरी रोजमर्रा आदतों में
तुम नहीं होते हो तो
अधूरा रहता है दिन
अधूरी रहती हूं मैं…
अल्पना नागर