अहसास
जुबाँ खा़मोश रहकर भी सभी कुछ बोलती है
मगर बस शर्त ऐसी है कि दिल को कान हों।
साँस लेना काफी नहीं महसूस करने को
जो रिश्ते हैं बनाये बस उनमें जान हो।
जीत का जश्न मनाने भर से खुश हो पाएगा
गर खोने और पाने के अंतर का भान हो।
तन ंभीगेगा मन तर होगा
न बाँध रूढियों की रस्सी
जो होगा सब बेहतर होगा।