अहसास
होती नहीं
सहन
अब उनकी
खामोशियां
महकी हैं
फ़िजा में
ख़ुशबू
बाबजूद
ख़ामोशियों के
अहसास
हो रहा
सांसों का
उनकी
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
होती नहीं
सहन
अब उनकी
खामोशियां
महकी हैं
फ़िजा में
ख़ुशबू
बाबजूद
ख़ामोशियों के
अहसास
हो रहा
सांसों का
उनकी
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल