अहसास से नम नहीं करतीं रिश्तों की मुलायिमत
साथ तो हैं –
पर अपने रिश्तों की
मुलायिमत से एक दूसरे को
अपने अहसास से
नम नहीं करतीं
हवा एक झोंका क्या चला
बूँद तो दरिया में जा मिला
कमल के पत्ते
सूखे रह गए
अतुल “कृष्ण”
साथ तो हैं –
पर अपने रिश्तों की
मुलायिमत से एक दूसरे को
अपने अहसास से
नम नहीं करतीं
हवा एक झोंका क्या चला
बूँद तो दरिया में जा मिला
कमल के पत्ते
सूखे रह गए
अतुल “कृष्ण”