अहसास प्यार का।
इक शख़्स यूं आया जिंदगी में जो अनकही सी बातें कर गया
शायद खाली था कोई कोना दिल का और उसे अपनी मोहब्बत से भर गया।
ख़ास था वो शख्स दिल के पास था वो शख्स
ना ख़तम होने वाली बातें हम किया करते थे
खोने की गर बात आए तो दोनों ही डरते थे
मिलना तो क़िस्मत में था ही नहीं
फिर भी ना जाने क्यों मिल गए
क्यों टकरा गई नजरें दोनों की क्यों मोहब्बत के गुल खिल गए
आप से तुम और तुम से तू का ये सफ़र मानो सदियों का रिश्ता था
दिल से चाहा उसको और मेरे लिए फरिश्ता था
आज नजरों से दूर भले वो गया और उसने ख़ुद को मुझसे दूर कर लिया
मोहब्बत तो बेपनाह थी उसकी भी मगर हालातों ने उसे मजबूर कर दिया
नाज़ है मुझे उस पर और उसकी वफ़ा पर उसने रिश्ता दिल से निभाया है
जितना चाहा था पास रहकर उतना ही उसने दूर रहकर भी चाहा है
जानता था वो कि मिलन कुछ पल का ही था फिर भी इस मोहब्बत को सर आंखों पर बिठाया
आज इस रिश्ते में चुपचाप हो गया वो और उसने फरिश्ता बनकर दिखाया।
ना उसने बेवफाई की ना उसने धोखा दिया, अपने प्यार की खुशी के खातिर उसने अपने प्यार को खुश रहने का मौका दिया।
वो शख्स जब से मिला था तब से दिल के पास रहा
क्योंकि इज़्ज़त बनाई है उसने प्यार में इसलिए तो खास रहा।
कौन कहता है कि लड़के प्यार निभाते नहीं
वो तो इस जमाने के कारण दिल की बात किसी को बताते नहीं
निभाना क्या होता है ये लड़कों से बेहतर कोई जानता नहीं
जिसको एक बार अपना कह दिया उसके बाद इनका दिल किसी और को अपना मानता नहीं।
रेखा खिंची ✍️✍️