अहम वहम
है किसी काम का पहलू सबसे अहम।
उसकी शुरुआत हो छोड़कर सब वहम।
खुद जो खुद के मददगार थे आदमी,
बस उन्हीं पर किया है खुदा ने रहम।
रात भर खुलके हँसती रही चाँदनी,
सुबह सूरज जो देखा गयी कुछ सहम।
जो गिराते हैं खाई में तन्हाई की,
ऐब दो ही बुरे हैं अहम या वहम।
रह गया कर्ज बाँकी बिका आदमी,
कितना महँगा हुआ आदमी का रहम।
पीठ पीछे जो बातें सुनी दोस्त की,
सकपकाया, डरा फिर गया वो सहम।
संजय नारायण