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16 Dec 2019 · 1 min read

अहमियत उम्र के ढलते पड़ाव की

उम्र के ढलते पड़ाव की होती है अपनी खास अहमियत।
एक -एक बाल में सिमटा होता है,
तजुर्बा मानो एक एक युग का
जो देता है सीख तुम्हें,
जुड़ने और जोड़कर रखने की,
जिंदगी के असमंजस वाले दो राहों पर,
मुड़ने और मोड कर चलने की।
रिश्तो के नाजुक धागों में
सहजता से बंधने और बांधकर रखने की।
जीवन के कठिन पलों में,
गुनगुनाते हुए धैर्य से बढ़ने और सब को साथ लेकर बढ़ने की।
अतीत की गर्त में छुपे धुंधले अधूरे चित्रों में,
समय की तूलिका ले स्वयं उतरने, और चित्रकारिता उकेरने में।
अधूरे पड़े स्वप्नों को
पूर्ण करने और मन से जोड़ते हुए पूर्ण कराने में।
रेखा वात्सल्य प्रेम और समर्पण को
जीवन से जोड़ते हुए स्वयं देने और देने की कला सिखाने में।
उम्र के ढलते पड़ाव की होती है अपनी खास अहमियत।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 492 Views
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