“अहं-परीक्षा”
दिलीप ने दिन-दूनी रात-चौगुनी मेहनत की बारहवीं बोर्ड परीक्षा के लिए और वह सफल भी हो रही थी! माता-पिता तो एक सड़क दुघर्टना में स्वर्ग सिधार गए, पर दादा-दादी के साथ रहकर उनका सपना जो पूरा करना था उसे! वे चाहते थे, बेटा अथक परिश्रम से एसीपी बने ।
उसके सारे प्रश्नपत्र हो चुके, अंतिम प्रश्नपत्र शेष और एक दिन का था अंतराल । अचानक ही दादी को अस्वस्थता के कारण वह अस्पताल ले गया, आते समय दिलीप का गंभीर सड़क दुघर्टना में हाथ-पैर जख्मी होने के बावजूद एक अतिरिक्त-दिन एवं लेखक की सहायता से जिंदगी की अहं-परीक्षा हुई सफल।