अहंकार
अहंकार की है हार
होती हरबार
फिर भी न जाने
आदमी पर क्यों
होता ये सवार।
अहंकार से उजड़े
कई के घरबार
झेल रहे अनेक
इसकी मार,
प्रतिष्ठा,पद और पैसे का
होता अहंकार।
रूप का भी होता
कई को अहंकार।
परिणाम पर अहंकार के
कर लो विचार।
अहंकार मुक्त हो
हमारे आचार।
रामनारायण कौरव