अहंकार
अपने इस विचित्र हयात में
कभी भी अहंकार को कर
नहीं करन उड़ेलना चाहना
इस भव, भूमंडलीय जग में।
अहंकृति जब होता इंसा में
तो इंसान – इंसान न होता
जस-जस उत्तप्त करें अयस
तस-तस गुमत अपना रूप।
जब आपको हो अहंमन्यता
तब आप श्मशान में जाके
दृष्टिपात करे मुरदघट्टा का
कितने नायाब दग्ध हुए यहां ।
अभिमान को त्याग करके ही
कोई इंसान होता बड़ा विद्वान
कभी भी ग़रूर को समावेश
न देना इस अनोखी – सी में ।