अस्त हुआ रवि वीत राग का /
पूज्य गुरुदेव आचार्य विद्यासागर जी महाराज के परिनिर्वाण पर
प्रस्तुत हैं ग़ज़ल के भाव में कुछ श्रद्धा-शब्द-सुमन ।
:: अस्त हुआ रवि वीतराग का ::
________________________
अस्त हुआ रवि वीतराग का ।
विश्व-विकीर्णित क्रांति आग का ।
करुणा भरे अलाप, स्मृति में,
मानवता की मधुर फाग का ।
मूक बनी देखे यह माटी,
खेल चिता की तीव्र आग का ।
बंद हुआ कुछ क्षण भारत में,
खेल द्वेष का और राग का ।
कज्जल गिरि चढ़ गया बाँकुरा,
नहीं बिन्दु भी जरा दाग का ।
छोड़ चिह्न पग गया अनूठे,
चलित-तीर्थ अनुपम प्रयाग का ।
०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।