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19 Feb 2024 · 1 min read

अस्त हुआ रवि वीत राग का /

पूज्य गुरुदेव आचार्य विद्यासागर जी महाराज के परिनिर्वाण पर
प्रस्तुत हैं ग़ज़ल के भाव में कुछ श्रद्धा-शब्द-सुमन ।

:: अस्त हुआ रवि वीतराग का ::
________________________

अस्त हुआ रवि वीतराग का ।
विश्व-विकीर्णित क्रांति आग का ।

करुणा भरे अलाप, स्मृति में,
मानवता की मधुर फाग का ।

मूक बनी देखे यह माटी,
खेल चिता की तीव्र आग का ।

बंद हुआ कुछ क्षण भारत में,
खेल द्वेष का और राग का ।

कज्जल गिरि चढ़ गया बाँकुरा,
नहीं बिन्दु भी जरा दाग का ।

छोड़ चिह्न पग गया अनूठे,
चलित-तीर्थ अनुपम प्रयाग का ।

०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
3 Likes · 235 Views
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