अस्तित्व की तलाश में
अस्तित्व की तलाश में
अगर तेरे ना होने से, किसी को ना हो फर्क, तेरे होने से भी, ना बदले कोई धरक, तो छोड़ दे उन रिश्तों की बेड़ियां जकड़ी, निकल पड़ सपनों की उड़ान में, तू अकेला, खुद को ढूंढने की खातिर, लड़ी।
जिनके लिए तू अनमोल, वो पहचान लेंगे, तेरी कीमत, तेरी ही कहानी बयान लेंगे, खुद पे विश्वास रख, हार मत मान हौसले से, तेरे हौसलों की चमक, जगमगाएगी ज़रूर, हर मुश्किल को पार कर तू, ज़रूर।
उड़ते हुए पंछी की तरह, मुक्त हो जा तू, आकाश की ऊंचाइयों को छू, तू ज़रूर, तूफ़ानों से ना डर, तू हवाओं से लड़, हर मुश्किल को पार कर, तू ज़रूर।
खुद के सपनों की राह पर, तू बढ़ता जा, हर कदम पे मंजिलें, तू छूता जा, तेरी मेहनत का रंग, ज़रूर दिखेगा, तेरा नाम, ज़रूर चमकेगा।
अस्तित्व की तलाश में, तू भटकता रहेगा, खुद को ढूंढता हुआ, तू आगे बढ़ता रहेगा, एक दिन ज़रूर आएगा, तू खुद को पहचान लेगा, और ख़ुशी से कह लेगा, “मैं हूँ, मैं हूँ, मैं हूँ!”