असाधरण सूझ बूझ और मेजर गोगोई
भारतीय सेना की पहचान विश्व के कुछ गिने चुने शक्तिशाली देशों की सेना के रुप में की जाती है, सेना की बहादुरी और उसके निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता के कई उदाहरण इतिहास में दर्जे हैं जिसकी एक मिशाल यहां प्रस्तुत करना चाहूंगा 1965 के युद्ध में जब पाकिस्तान की सेना ने कश्मीर में घुसपैठ की तब ले. जन. हरबख्श सिंह ने पाकिस्तान का ध्यान कश्मीर से हटाने के लिए पंजाब में युद्ध का एक दूसरा फ्रंट खोलने की योजना बनाई और इसके लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी से अनुमति मांगी जिसे लाल बहादुर शास्त्री जी ने सहर्ष स्वीकृति दे दी और इस फैसले के साथ ही पाकिस्तान की सभी योजनाएं धराशाही होने लगी पाकिस्तान जहां कश्मीर में घुसपैठ कर रहा था वहीं दूसरी ओर पंजाब के दूसरे फ्रंट से भारतीय सेना लाहौर की तरफ बढ़ने लगी थी अब पाकिस्तान को कश्मीर छोड़कर मजबूरन लाहौर बचाने के लिए अपनी सारी ताकत इस दूसरे फ्रंट पर लगानी पड़ी और कश्मीर से पीछे हटना पड़ा इन सबके बीच में अन्य कई बातें है किंतु एक बात स्पष्ट है कि ले. जन. हरबख्श सिंह के एक फैसले ने यह सिद्ध कर दिया कि युद्ध केवल तो को और बंदूकों से ही नहीं लड़ी जाती बल्कि सही समय पर सही निर्णय किस प्रकार शत्रु को अचंभित कर देता है और शत्रु की सारी योजनाओं पर पानी फेर देता है ।
वर्तमान में जिस प्रकार मेजर गोगोई ने एक चुनाव बूथ पर चुनाव बूथ के अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को बचाने के लिए एक कश्मीरी को मानव डाल के रूप में प्रयोग किया उससे ले. जन. हरबख्श सिंह के फैसले की ही याद ताजा की, ऐसे में जब चुनाव बूथ के अधिकारी और सुरक्षाकर्मियों को लगभग 1200 कि संख्या में पत्थर और पेट्रोल बम से लैस लोगों ने घेर लिया हो तुम मेजर बचने के उपाय के रूप में आप के पास गोलियां चलाने के अतिरिक्त अन्य विकल्प न सूझ रहा हो ऐसे में मेजर गोगोई द्वारा एक व्यक्ति को ढाल के रूप में प्रयुक्त कर यदि बिना किसी हिंसा या बल प्रयोग के सभी अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाता है तो यह ले. जन. हरबख्श सिंह की सूझ बूझ की धरोहर रखने वाली भारतीय सेना ही कर सकती है । ऐसे परिस्थिति में जब आप पथ्थर,पेट्रोल बम्ब से लैस भीड़ के बीच मे फंसे हो तो साधरण सी सोच रखने वाला व्यक्ति ऐसे में गोलियां चला कर स्वयं की रक्षा करने के अतिरिक्त अन्य बात सोच भी नही सकता था जबकि मेजर गोगोई ने असाधारण सूझ बूझ से न केवल अपने लोगो की जान बचाई और उन्हें बिना कोई खरोच आये बाहर निकाला साथ मे उन पथ्थर बाजो पर भी रहम की जो कि अन्य किसी देश अथवा सैनिक के एक निर्णय से मारे जा सकते थे । में इस नायाब काम के लिए मेजर गोगोई को नमन करता हूँ । जय हिंद