असली जीत
असली जीत
बाहरी शत्रुओं को हराना, वो जीत क्षणिक है,
असली जीत है खुद पे, जो विजय अनन्त है।
डर, शंका, अविश्वास, ये मन के दानव हैं,
जो हौसलों को तोड़कर, करते हैं जीवन वीरान हैं।
“नहीं कर पाओगे,” “तुमसे नहीं होगा,” ये वो कानाफूसी,
जो कमजोर कर देती हैं, हर इच्छा, हर अभिलाषी।
लेकिन हार मत मानो तुम, इन नकारात्मक विचारों से,
लड़ो इनसे डटकर, जज्बे और विश्वासों से।
अपनी क्षमताओं पर भरोसा रखो, यकीन खुद पर रखो,
हर मुश्किल को पार कर, तुम ज़रूर सफलता का स्वाद चखो।
बाहरी हार से मत घबराओ, हार मानो मत कभी,
क्योंकि असली जीत है खुद पे, वो जीत है अनमोल जिंदगी।
उठो, गिरो, फिर उठो, हार मत मानो कभी,
खुद पर यकीन रखो, यही है सच्ची जीत की कुंजी।
हर चुनौती को स्वीकारो, डर को मन से निकालो,
अपनी कमजोरियों को मिटाओ, और आगे बढ़ने का संकल्प कर डालो।
याद रखो, हार में भी है जीत का संकेत,
क्योंकि हर बार गिरकर, तुम उठते हो और भी मजबूत बनकर।
असली जीत है खुद पे, ये समझो गहराई से,
और लड़ो हर पल, हर सांस, अपनी जीत के लिए।
यह जीवन है संघर्षों का, हार-जीत का खेल है,
लेकिन हार मत मानो कभी, यही सच्चे वीर का सवेला है।