असर
निग़ाहे नाज़ का ये असर है
जिससे तू बे-ख़बर है ,
दीवाना बना दे ज़माने को
ऐसी तेरी नजर है ,
चश्मे साग़र से पिला
मदहोश कर देती हो ,
अपनी बेसाख़्ता मुस्कान से
बिजली गिरा देती हो ,
जिस राह से गुज़र जाओ
क़यामत बरपा देती हो ,
अपनी शोख अदाओं से दिल
घायल कर देती हो ,
शु’आ’ -ए- हुस्न से माहौल
रोशन कर देती हो ,
अपने अंदाज़े बयां से दिल में
जगह बना लेती हो ,
तेरे दीवाने तेरे इक इशारे पर
क़ुर्बान हो जाएं ,
तेरी चाहत में हद से गुज़र
फ़ना हो जाएं ।