असर धीरे धीरे
तेरे प्यार का हो रहा असर धीरे-धीरे।
चढ़ रहा मुहब्बत का जहर धीरे-धीरे।।
आसान नही डगर मुहब्बत की देखो।
करना है तय इश्क़ का सफर धीरे – धीरे।
बड़ रही नज़दीकियाँ तुम से कुछ इस,
कदर हो रही सब को खबर धीरे -धीरे।।
जब से मिले हैं तुम से हम सनम सच
हो रही है हम को भी कदर धीरे -धीरे।।
काफिर दुनिया सितम ढा रही है हम पर
चढ़ रही खुमारी,हो रही फिकर धीरे धीरे।।
✍?संध्या चतुर्वेदी?
@काव्य संध्या