असमंजस
जिनकी पल में राय बदलती रहती है ।
असमंजस में जीवन सरिता बहती है ।।
किसी झोंपड़ी में गर जाकर देखोगे ।
बुढ़िया बच्चों संग कहानी कहती है ।।
हुक्मरान तुम कैंसे नियम बनाते हो ।
मजबूरी में जिनको जनता सहती है ।।
खरी कमाई से जो मंजिल पाई हैं ।
तूफानों में भी वह कभी न ढहती है ।।
जिनकी आंखें नेह नीर से चमक उठें ।
उन्हें मित्रता मुदित हृदय से गहती है ।।
बहुत सताने पर भी क्रोध नहीं करती ।
धरती माँ की हम पर करुणा महती है।।
घने अंधेरों में उजियारा बिखराती ।
एक दिए में बाती तिल तिल दहती है ।।