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11 Apr 2021 · 1 min read

-अश्रु

अश्रु को नीर कहो या पानी
होती पर इनकी अकथ कहानी
युगों युगों से बनी हैै आंसू की रवानी
कान्हा ने नैनन के नीर से पखारे
सखा सुदामा के चरणन न्यारे
कभी सिया के विलाप के थे साक्षी
युद्ध भूमि में अर्जुन के नेत्र से बहे पानी
कभी वात्सल्य में नेत्रों से बहता
स्नेह रस की कहानी अश्रु से कहता
मां की ममता को आंसू बन पिघलाता
कभी बादल की तरह बारिशमय बरसता
कोई भूखा सोता तो रात भर अश्रुपूरित रोता
आंसू अपनी कीमत को हर पर दर्शाता
विरह प्रेम में अश्रु मूल्य दुगना हो जाता
अश्रुजल दिल के अंतर्मन में डोलता
बनती अश्रुजल की अनूठी कहानी
समझ लिया तो अनमोल, नहीं तो सादा पानी।
_ सीमा गुप्ता, अलवर

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 282 Views
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