अश्रु से भरी आंँखें
अश्रु से भरी आंँखें
ख़ामोशी से देखतीं,
अश्रु से भरीं आंँखें ।
न जानें कितनी अनकही बातों को-
-बयां करतीं ये आंँखें।
ख़ामोशी से सब कुछ सह जातीं, होठों पर मुस्कान लिए।
आंँखें बस तन्हाई में छलकती-
-हर ज़ख्म को हल्का करती-
-यह आंँखें निःस्वार्थ प्रेम को,
बिना बोलें बयां करतीं।
डॉ माधवी मिश्रा ‘शुचि’