अश्रुनाद
. …. मुक्तक ….
भव- सिन्धु प्रलापित फेरे
लहरें सुनामि बन घेरे
भू- गर्भ प्रकम्पित होता
जब अश्रुनाद से मेरे
डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ
. …. मुक्तक ….
भव- सिन्धु प्रलापित फेरे
लहरें सुनामि बन घेरे
भू- गर्भ प्रकम्पित होता
जब अश्रुनाद से मेरे
डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ