अश्क
अश्क मेरे अपने है
कोई तेरी तरह पराये नहीं !
प्यार जताने ये
खुद ब खुद चले आते हैं !!
तुझ से दूर जब गम
मेरे पास होते हैं !
मेरे सहारे को ये
अपने आप चले आते हैं !!
जब तू नाम ले रही
होती है गैरो का !
ये मेरे दिल की आग
बुझाने चले आते हैं !!
पोंछ देता हूँ इन्हे
तुझसे मिलने पर !
पर मेरे घर में चिराग
यही रोशन कर जाते हैं
मेरी आँखों में जो
छुपी है तस्वीर तेरी !
उस पर अर्घ्य चढ़ाने ये
हमेशा चले आते हैं !!