अश्क बहाने से
अश्क बहाने से
कुछ भी हासिल नहीं होता
पहले दुनिया साथ छोड़ती है
फिर अपने साये भी
अपना भीगा दामन भी बढ़कर
आंख से बहते आंसू नहीं पोंछता
पत्थर की दुनिया है
पत्थर के बन जाओ
खुद के हालात पर फिर
रोना तो आता है
जब लोग कहते हैं कि
अब ऐसे में
एक मुरझाया चेहरा लेकर न फिरो
एक फूल से मुस्कुराओ
एक बहार से हंसो और
एक झरने के फव्वारे से खिलखिलाओ।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001