अश्क आखे
अश्क आँखों को निशानी दे गया
गम की दरिया को रवानी दे गया|
फूल दामन में मेरे, वो भर सभी
अपने’ सब,यादें पुरानी दे गया|
हम तरसते ही रहे उसके लिए
बाद रुसवाई, कहानी दे गया|
इश्क की हर दास्तां निशानी दे गया
वो मुहब्बत, राजधानी दे गया|
आप उलझे ही रहे खुद ही सनम
वक्त हमको , बेइमानी दे गया|