अश्कों की जुबां 2
अश्कों की जुबां – 2
लफ्ज नहीं अश्क़ ही काफ़ी है
दोनों का रिश्ता नया थोड़ी है
एक बूँद आंसू….
घाव गहरा जिसकी, जरूर कोई कहानी होंगी
घाव नया ही होगा अभी, पर चोट पुरानी होंगी
भूलना चाहता तो होगा जरूर उसे पर
पुराने पन्ने की कहानी, अभी मुँह जुबानी होंगी
आंसूओं का ढेर…
पीड़ा अभी नई नई होंगी
जरूर किसी ने सताया होगा
औरो से इस दिल का क्या मलाल
जरूर किसी अपने ने ही रुलाया होगा