अश’आर हैं तेरे।
बस झूट में लिपटे सब अश’आर हैं तेरे।
जितने भी फसाने हैं निराधार हैं तेरे।
क्या गुज़री है हम पर ये बताएँ भी तो कैसे,
किरदार में देखे बहुत किरदार हैं तेरे।
क्या क्या ना किया कौन से नखरे ना उठाए,
ताउम्र जो चुभते रहे गुल ख़ार हैं तेरे।
एहसास भी कान्हा है विश्वास भी कान्हा,
जो लेख लिखे मोहन स्वीकार हैं तेरे।
तुम आस में विश्वास जगा देती हो ‘नीलम’
यूँ ही नहीं सीरत के तलबगार हैं तेरे।
नीलम शर्मा ✍️