अवार्ड वापसी का नाटक
अब क्यों नहीं हो रहे अवार्ड वापिस ,
और क्यों नहीं हो रही असहनशीलता की बातें.
भई ! हमारी सरकार व् जनता बहुत अधिक सहनशील है हद से जायदा ,तभी तो रोज़ अनगिनित दामिनियाँ क्रूर और खूंखार ,वेह्शी भेडियों का शिकार हो रही हैं मगर कोई इसके खिलाफ आवाज़ अपनी बुलंद नहीं करता . है किसी में इतनी हिम्मत ,जो ऐसे कानून के परखच्चे उड़ा दे जो एक मासूम लड़की को इन्साफ भी दिलवा ना सके. और वोह नाबालिग कहे जाने वाले ”सपोले ” को क्यों रिहा कर दिया . ताकि वोह बालिग होकर और अधिक ज़हरीला नाग बनकर अन्य किसी मासूम लड़की को डसे .उसकी जिंदगी बर्बाद करे. क्यों ?