Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2018 · 1 min read

अवला मैं कैसे तुझे भूलूँ…

अवला मैं कैसे तुझे भूलूँ …
हरपल और हरदम मैं बस तेरे ही साथ रहूँ ।
अवला मैं कैसे तुझे भूलूँ …..

जन्म से पहले नौ माह तक,
मैं इक अबला के साथ रहा ।
हुआ जन्म जब गौद में पाया ,
तूने आया रूप धरा ।।
अवला मैं कैसे तुझे भूलूँ …..

एक दो क़दम चलन जब लागा,
हाथ मेरा किसी बहन और बुआ ने थामा ।
दिन में कई बार किया शौच मैं,
फ़िर किसी महिला ने मुझे साफ़ कराया ।।
अवला मैं कैसे तुझे भूलूँ……

जब मैं यौवनावस्था में आया,
स्कूल -कॉलेज का मौसम छाया ।
बहन मेरी लगी करने स्त्री ,
माँ मेरी ने मुझे भोजन खिलाया ।।
अवला मैं कैसे तुझे भूलूँ…….

बड़ा हुआ शादी अब हो गई,
घर में खुशियाँ ले एक महिला लाई ।
अब एक नया रिश्ता और गढ़ गया,
मैं एक महिला का पति बन गया ।।
अवला मैं कैसे तुझे भूलूँ……..

समय बीत रहा नए बन रहे रिश्ते,
हर रिश्ते को एक महिला जोड़ती ।
बिन महिला क्या बचेगा विश्व में,
नादान मनुष्य क्यूँ नहीं समझता ।।

दिन-प्रतिदिन की संकीर्ण व्यवस्था,
स्त्री रूप रहा इससे झुलसता ।
“आघात” तुम्हें करना होगा ,
आदर इस महिला जाति का ।।
कल फ़िर किसी से मत कहना,
कि आज हुई मेरी माँ, बहन, पत्नी, बेटी संग घटना ।।
अवला मैं कैसे तुझे भूलूँ….
हरपल ओर हरदम मैं तेरे ही साथ रहूँ..

आर एस बौद्ध”आघात”
8475001921

Language: Hindi
2 Likes · 345 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मां
मां
Dheerja Sharma
सुस्ता लीजिये - दीपक नीलपदम्
सुस्ता लीजिये - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
हमसफर ❤️
हमसफर ❤️
Rituraj shivem verma
Friend
Friend
Saraswati Bajpai
पाप बढ़ा वसुधा पर भीषण, हस्त कृपाण  कटार  धरो माँ।
पाप बढ़ा वसुधा पर भीषण, हस्त कृपाण कटार धरो माँ।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मै ना सुनूंगी
मै ना सुनूंगी
भरत कुमार सोलंकी
विद्यालयीय पठन पाठन समाप्त होने के बाद जीवन में बहुत चुनौतिय
विद्यालयीय पठन पाठन समाप्त होने के बाद जीवन में बहुत चुनौतिय
पूर्वार्थ
"अगर"
Dr. Kishan tandon kranti
नीम
नीम
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
गाँव की प्यारी यादों को दिल में सजाया करो,
Ranjeet kumar patre
शिक्षक
शिक्षक
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
संस्कार मनुष्य का प्रथम और अपरिहार्य सृजन है। यदि आप इसका सृ
संस्कार मनुष्य का प्रथम और अपरिहार्य सृजन है। यदि आप इसका सृ
Sanjay ' शून्य'
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
ग़ज़ल की नक़ल नहीं है तेवरी + रमेशराज
कवि रमेशराज
Kisne kaha Maut sirf ek baar aati h
Kisne kaha Maut sirf ek baar aati h
Kumar lalit
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
Ravi Prakash
वो कहते हैं की आंसुओ को बहाया ना करो
वो कहते हैं की आंसुओ को बहाया ना करो
The_dk_poetry
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
रै तमसा, तू कब बदलेगी…
रै तमसा, तू कब बदलेगी…
Anand Kumar
महाभारत एक अलग पहलू
महाभारत एक अलग पहलू
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
***
***
sushil sarna
मिष्ठी रानी गई बाजार
मिष्ठी रानी गई बाजार
Manu Vashistha
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Wakt ke pahredar
Wakt ke pahredar
Sakshi Tripathi
इंसान VS महान
इंसान VS महान
Dr MusafiR BaithA
लड़कियां गोरी हो, काली हो, चाहे साँवली हो,
लड़कियां गोरी हो, काली हो, चाहे साँवली हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3536.💐 *पूर्णिका* 💐
3536.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
संवेदनाएं जिंदा रखो
संवेदनाएं जिंदा रखो
नेताम आर सी
■ कटाक्ष...
■ कटाक्ष...
*प्रणय प्रभात*
आरजू ओ का कारवां गुजरा।
आरजू ओ का कारवां गुजरा।
Sahil Ahmad
राह नहीं मंजिल नहीं बस अनजाना सफर है
राह नहीं मंजिल नहीं बस अनजाना सफर है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
Loading...