“अवध में राम आये हैं”
अयोध्या के हो गए श्रृंगार, श्रीराम के आने से,
धरती का हुआ अभिनंदन, पावन पग ढाने से।
माथे लग गया चंदन, करें हम सब वंदन,
श्री राम श्री राम मेरे रघुनन्दन।
स्वर्ग सा बन गया अयोध्या धाम,
जब से आये है सिया के राम।
स्वागत करें हृदय से, मन में बसाये ऐसे,
राम नाम लेते लेते सांस टूटे जैसे।
आप मिलते नही मंदिर के फेरो में,
आप तो मिल गए थे शबरी के जूठे बेरों में।
राम शब्द नही शब्दों के सार हैं,
आपके भावों में भक्ति अपार हैं।
आपसे सृष्टि हैं आप ही अवतार हैं,
हे प्रभु ! आपका हृदय अपरम्पार हैं।
राम प्रतिमा नही प्रतिमान हैं,
नभ के चमकते हुए दिनमान हैं।
बाल्मीकि तुलसी के वरदान है,
प्रभु आप आदर्श भी और भगवान हैं।
पथराई अहिल्या को आपने तारा हैं,
अत्याचारी असुरों को आपने मारा हैं।
जो राम का नही वो किसी काम का नही,
बेशकीमती होकर भी किसी दाम का नही।
राम नाम राम नाम राम नाम,
कर डालें सब बिगड़े काम।
खुशी मिली भारी अवध में राम आये हैं,
छवि लगे बड़ी प्यारी सिया के राम आये हैं।
जले हैं दीप घर में मेरे, चली गई दुख की रैना,
दरस को प्यासे थे नैना, मेरे घर राम आये हैं।
आपके गुणगान में क्या लिखूं,
बस पुत्र हो श्री राम जैसे वो पिता के भाग्य हैं।
बस भाई हो श्री राम जैसे वो बहन के भाग्य हैं,
राम मेरे क्या लिखूं और ही मैं क्या लिखूं।
पति हो श्री राम जैसे वो पत्नी के सौभाग्य है।
आचरण तो आपसा, हैं नही संसार में।
मर्य्यादा के आगे कोई टिकता ना संसार में,
आप ही अवतार है आप तारणहार हैं।
आप ही इस सृष्टि के आधार हैं,
हम सब आपके दास हैं, प्रभु आपका ही वास हैं।
आपसे ही आस हैं, आप से विश्वास हैं,
राम नाम लेने में ही जीवन का उद्धार हैं।
हे प्रभु ! चरणो में, मेरा मस्तक झुकता बारम्बार है,
जोड़ी कितनी ही सुंदर ,जैसे चारों धाम हैं।
राम सिया के, सिया राम के,
मेरे तो भगवान हैं, मेरे तो प्रभु राम हैं।
राम रामेति राम रामेति,
रमे रमे मनोरमे।।
सहस्र नाम ततुल्यं,
राम नाम वरानने।।
जय श्री राम🙏
लेखिका:- एकता श्रीवास्तव✍️
प्रयागराज