अवधी लोकगीत
रानी साइकिल पे तुहका घुमाय लैइबै
चलौ भिनगा बजरिया देखाय लैइबै
रानी०—-
डँडा पे गोरी तोहका बिठाइके
कट जाई रहिया हँसके हँसाइ के
गोलगप्पा औ कुल्फी खवाय लैइबै
चलौ०——-
छोडा शरम तनी कै लेव सिंगरवा
लाल कैले होठवा लगाइले कजरवा
आज तुमहू का पिच्चर देखाय लैइबै
चलौ——–
आवौ न दून जने देख आई मेला
खावा जइ जलेबी सिंगाडा औ केला
बड़के झूला पे झलुवा झुलाय लैइबै
चलौ०———-
ऐइसै मोहब्बत म कट जइ उमिरिया
खाइकै कसम कहै “प्रीतम” सँवरिया
एक ठो मखमल कै चोलियो सिंवाय लैइबै
चलौ०——रानी ०—–
प्रीतम राठौर भिनगाई