अवधपुरी की पावन रज में मेरे राम समाएं
सकल भुवन के जनमानस में मेरे राम समाएं,
मेरे राम समाएं,मेरे राम समाएं,
अवधपुरी की पावन रज में मेरे राम समाएं,
मेरे राम समाएं, मेरे राम समाएं।
राम अखंड हैं राम अनंत हैं राम हैं घट घट वासी,
भारत मां के हर बालक के उर के राम हैं वासी,
सरयू की कंचन धारा में मेरे राम समाएं,
मेरे राम समाएं, मेरे राम समाएं।
द्वापर युग का समय था आया बड़ा सुहाना छण था,
नारी वेश धारी शिव के संग कान्ह ने रास रचा था,
गोकुल, मथुरा ,बृंदावन में आनंद ही आनंद आए,
मेरे राम समाएं, मेरे राम समाएं।
सीता मां के पावन उर की ज्योतिपुंज हैं राम,
भरत जैसे भैया हैं जिनके कौसिल्या सी मात,
राम नाम ऐसी औषधि है सकल व्याधि मिट जाएं,
मेरे राम समाएं, मेरे राम समाएं।
राम नेति हैं राम नियति हैं तपते भानु का तेज राम हैं
राम अनादि हैं,राम अनंत हैं पवनपुत्र का वेग राम है ,
राम नाम दो सुंदर अक्षर हैं सावन भादव मास ,
मेरे राम समाएं, मेरे राम समाएं।
उल्टा नाम जपा था जिसने ब्रह्म का रूप था पाया,
ऋषि मुनियों ने सारा जीवन जिनके तप में बिताया,
कलियुग रूपी मालिन सरोवर धवल स्वच्छ हो जाए,
मेरे राम समाएं, मेरे राम समाएं।
अनामिका तिवारी “अन्नपूर्णा”✍️✍️