अल्फ़ाज़ों की कारीगरी।
अल्फ़ाज़ों की कारीगरी आती है तुम्हें भी खूब।
पढ़कर जी रहे है आजकल तुम्हें ही मेरे महबूब।।1।।
ज़िन्दगी में यूँ तो खतावार ना हो तुम ज़रा भी।
इतना तो होना ही चाहिए है ऐसे चेहरे पे गुरुर।।2।।
गलतफहमी है जहाँ की तेरी आदतों को लेकर।
यूँ मोहब्बतें पाकर हर कोई हो जाता है मग़रूर।।3।।
तुम होना ना मायूस अपनी गर्दिशे ज़िन्दगी में।
खुदा रखेगा तुमको सदा ही रहमतों में महफ़ूज।।4।।
छोड़ना ना अक़ीदा तुम यूँ नमाजों पर अपनी।
एक दिन तो होगीं खुदा को तेरी इबादतें मंजूर।।5।।
मैं इश्क़ का दिखावा करता नहीं हूँ सारेआम।
मेरी मोहब्बतें है बड़ी पाक तेरे लिए मेरे हुज़ूर।।6।।
कहा था पहले ही आसान ना होगा इश्के सफर।
यह कर देता है सबको ही रोने पर बड़ा मजबूर।।7।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ